सर्वप्रिय अमित हंसजी आपको बहुत-बहुत बधाई युगहंस नाम से ब्लॉग शुरू करने के लिए. वास्तव में युगहंस एक नई चेतना और युग परिवर्तन का प्रतीक है, इसमें कोई दो राह नहीं, युगहंस अब अपने कुछ ही अन्तराल में अपनी ऊंचाइयों को मापने लगेगा . इसका श्रेय सिर्फ आपको ही है यानी अपनी अंतरात्मा से कहूँ तो इसके जन्मदाता भी आप ही हैं क्योंकि भरत चरित्र महाकाव्य का सर्जन भी आपके मुखारुविंद से निकली वाणी के आधार पर ही हुआ जिसको स्वतः अपने शोध के द्वारा ख्याति प्राप्त हुई. शायद किसीने ऐसा महाकाव्य सृजित किया हो जिस पर प्रकाशित होते ही शोध हो जाये. यह एक अपने आप में बहुत बड़ी बात है. और गर्व है.मैंने देखा कि आई टी ओ पर एक शिव मंदिर में भक्तगण इस महाकव्य का पाठ नियमितरूप से करते हैं. धार्मिक धर्मिता वाले जिज्ञासु इसका महाकाव्य का अपने घर में पाठ भी कर रहे हैं. पुनः आपको बधाई एवं प्रणाम.
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